उनकी महफिल में आ बैठे हैं,
जो परायों की महफिल में हैं,
ऐसे नज़रें चुरातें हैं ,
जैसे हम कोई गैर हैं|
उनकी---------------
कभी नज़रें चुरातें हैं,
कभी नज़रें मिलातें हैं,
बीते दिनों की याद कर,
हमें वो गुजरा वक़त याद दिलातें हैं|
उनकी-------------------
तन साहिल पे है,
मन मझधार में है,
बहार जो पहेले कभी थी,
आज वो यार में कँहा है ?
उनकी--------------------
गल्ती से आगये हैं,
हमें माफ़ करना सितमगर,
हमें मालूम न था की,
तुम होंगी यँहा सरे बाज़ार|
उनकी--------------------
जा रहा हूँ, दूर तुझ से,
पर तेरी,एक कसक तो है,
तू मिलें ,या ना मिलें,
'पवन पागल' तेरी जुस्तजू तो है|
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