मोहब्बत उनसे करते हैं,पर उन्हें खबर नहीं,
क्यों याद करते हैं उन्हें,जो याद करते नहीं|
कोई जिस्म का भूका है, कोई हुस्न का गुलाम,
कोई दोलत के पीछे है,बस हो जाये उनका सलाम|
हम जो चाहते हैं,वो सब इन में नहीं,
आँखों से बढ़ कर,कोई चीज़ मोहब्बत में नहीं|
महबूब की आँखों से ही प्यार करते हैं,
उन्ही को मोहब्बत का, एक जरिया समझते हैं|
वो जाने की हम उनसे मोहब्बत करते हैं,ज़रूरी नहीं,
इज़हारे मोहब्बत करें ,ये ज़रूरी नहीं|
वो हमारे हों ओर हम उनके,ये भी ज़रूरी नहीं,
रोज़ मिलें आँखें बातें करें ,पर लबों का खुलना ज़रूरी नहीं|
जो मज़ा इस मोंन प्रेम में है 'पवन पागल',
वो इज़हारे मोहब्बत में कहाँ?
जो नशा इस प्यार में है वो,
लबों से पिलाई गई शराब में कहाँ ?
आँखें अगर बयाँ करें,मोहब्बत का अफसाना,
तो मज़ा कुछ ओर ही है,
शराब बोतल की जगह,पैमाने में हो,
तो मज़ा कुछ ओर ही है|
आँख 'चार' करतें हैं,पर 'दो' की खबर नहीं
"'पवन पागल"' उनको याद करते हैं,पर उनको खबर नहीं |
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