गुरुवार, 25 नवंबर 2010

(६७)पथराई आँखें

कभी नजदीकियां,कभी दूरियां करलीं
आज तौबा की,कल शुरू करली |
उनकी खामोंशियाँ,मैनें दिल्ल्लगी करली
उनकी परछाइयाँ , मैनें हूब-हू समझ लीं |
ये जिंदगी भर की तन्हाईयां ,कभी बहुत दूर करलीं
कभी इनसे लड़ते रहे,कभी आँख बंद करलीं |
कभी जो दूर हुईं रोशनियाँ,कभी सिसकियों में हामी भरली
जो हुईं उनकी मेहरबानियाँ,उनकी हाँ में हाँ करली |
अक्सर मुझसे जलती रहती हैं चांदनियां,जो मैनें तारों से दोस्ती करली,
जो जलते सूरज को पकड़ना चाहा, दिल ने धड़कन बंद करलीं |
उनकी कुछ झलकियाँ देख,आँखें शुकून से बंद करलीं
जो उनका दीदार न हुआ,आँखें हमेशा के लिए बंद करलीं|
"पवन पागल"सूखता नहीं कभी दरिया,जो नदियों से दोस्ती करली,
पीने के लिए जीना,जीने के लिए पीना,इन से सच में नफरत करली |

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