शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

(७४)सावधान

तुम्हें उसे पुकारना ही ,नहीं आता
तुम क्या ख़ाक,उसे पाओगे
पहले ठीक से,पुकारना सीख लो
फिर कहीं जाके,तुम उसे पाओगे |
तू भी मेरा है,यह कहना गलत है
तू 'ही' मेरा है,यह कहना सही है
अपनी इस भूल को,जल्दी सुधार लो
तुरंत ही तुम उसे,अपने सामने पाओगे |
हजारों देवी-देवताओं को भजना गलत है
इससे से ध्यान इधर-उधर भटकता है
कोई' एक' जो तुम्हे अच्छा लगे,उसे 'ही' अपना लो
फिर देखना तुम उसे,अपने करीब ही पाओगे |
तुम्हारे अन्दर ही तो वो,छुपा बैठा है
तो तुम इतनी दूर,क्यों भागते हो
पहले ठीक से,उसे जानना सीख लो
पलक झपक ते ही,तुम उसे पाओगे |
कोंन किसका नोकर है,कोन किसका मालिक
"पवन पागल" ये समझना ज़रूरी है
कहे'कृपालु' आत्मा तन की नोकर है,ये गलत है
तन आत्मा का नोकर है,ये 'ही' अमिट सच है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें