शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

(७३) फासला

सर्दी,गर्मीं ,बरसांत ,में
जब भी फटाव आता है
तो
मन का फटाव
कम हो जाता है |
पल भर अपनों की याद में
जब मन खो जाता है
तो
"पवन पागल" मींलों की दूरी का फासला
गज भर का रह जाता है |

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