हँसो किसी पे ,तो अपने आस-पास देख कर हँसों,
कंही ऐसा न हो की ज़माना देख ले ,
तुम्हारी ये रुसवाई की हँसी|
मरो तो,तो अपने आस-पास देख कर मरो,
कंही ऐसा न हो की ज़माना देख ले,
तुम्हारे मरने की हँसी|
जिओ तो भी, अपने आस-पास देख कर जिओ,
कंही ऐसा न हो की ज़माना देख ले,
तुम्हारी ये थोथी जीवन की हँसी|
चलो तो अपने आस-पास देख कर चलो,
कंही ऐसा न हो की ज़माना देख ले,
तुम्हारी ये मतवाली चाल की हँसी|
किसी को दो, तो अपने आस-पास देख कर दो,
कंहीं ऐसा न हो की ज़माना देख ले,
तुम्हारे ये दान की हँसी|
"पवन पागल" हँसना है, तो अपने आप पर हँसो,
फिर चाहे ज़माना,देख भी ले,
तुम्हारी ये खिल-खिलाती हँसी|
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