पत्नी ने,पति से कहा की
अख़बार से मुंह क्यों पंहुंचते हो
कालिख लग जाएगी
जाकर धो क्यों नही आते|
पति ने कहा,अख़बार ही तो है
रद्दी के भाव बिक जायेगा
पत्नी बोलीं
ये तो फिर भी रद्दी के भाव बिक जायेगा
पर तुम्हारा तो इतने सालों से
भाव भी तय नहीं हुआ है की
किस भाव बिकोगे
ओर बिकोगे की भी नहीं
खामखां अख़बार को ख़राब कर रहे हो
पति ने चुप-चाप अख़बार रख दिया
पत्नी ने उसी अख़बार से
दर्पण को अच्छी तरह से पोंछा
अपना सुव्रण मुख उसमें देख कर
"पवन पागल"वो हंसी ,ओर अपना होट कचोटा
ओर कहा की क्या खूब हमने उनको डांटा |
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