ओ बसंती पवन पागल ,अगर मुझ से मोहब्बत है,
मैं तो कब से खड़ी,पर आपकी नजरों ने ना समझा प्यार के काबिल|
आवारा ऐ मेरे दिल,बचपन की मोहब्बत को दिल से जुदा ना करना,
बोल री कटपुतली गोरी ,भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना|
चाँद फिर निकला,छोड़ दे सारी दुनिया,
दिल अपना ओर प्रीत पराई, छोटी सी ये दुनिया|
दिल जो ना कह सका,दुनिया करे सवाल,
दुनियां में हम आंयें हैं तो,इक बेवफा से प्यार हो जाये|
घर आया मेरा परदेशी,गुडिया हमसे रूठी रहोगी कब तक,
है इसी में प्यार की आरज़ू,गुजरा ज़माना वापस नहीं आता |
हमें काश तुमसे मोहब्बत न होती,जीना हम को रास न आया,
जीया बेक़रार है,कभी ख़ुशी कभी गम |
कोई हम-दम न रहा,लाख छुपाओ छुप न सकेगा,
लो आगई उनकी याद,लग जा गले से दिल हंसी रात हो ना हो|
वो भूली दांस्ता याद आगई,मेरा मन डोले मेरा तन डोले,
मैं इक सदी से बैठी हूँ ,मैं तो तुम संग नैन लड़ा के हार गई |
मेरा दिल ये पुकारे आजा,मेरे अश्कों का गम न कर,
मेरे जीवन साथी, मोहब्बत की झूंटी कहानी पे रोये |
मुझे ऐसा मिला मोती,न छेड़ो कल के अफसाने,
नगरी-नगरी धुंडू रे सांवरिया,नैना बरसे रिम-झिम रिम-झिम |
निंदिया से जागी बहार, उनको ये शिकायत है,
पिया ऐसो जीया में समाय गयो,प्यार किया तो डरना क्या|
रात ओर दिन दिया जले,राजा की आएगी बरात ,
रसिक बलमा काहे दिल ,दिल उठ गया है जंहा से|
"पवन पागल"आप के दिल ने कई बार पुकारा मुझ को,
फिर न कीजिये गिला ,मेरी गुस्ताख निगाही को |
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