रविवार, 21 नवंबर 2010

(49) अधूरी प्यास

उसका ही रंग काला है,यक़ीनन वो गोपाला ही होगा
मेरा कृष्णा बिना राधा के,अधूरा ही होगा |
उसमें इतना खो जांयें ,की शायद कान्हा मिल जाये
बिना राधा-कृष्ण के,जिंदगी में अँधेरा ही होगा |
उस प्यास का क्या ज़िक्र, जो वृन्दावन में भी ना भुझी
शायद द्वारका में,वो हमारा इंतजार कर रहा होगा |
जिंदगी में सांसे इतनी तेजी से आती-जातीं रहतीं हैं
इन को रोक कर देखो,पास ही में कृष्णा मिल जायेगा |
उसकी तस्वीर को देखने पर,शुकून मिलता है
मन की आँखें बंद करलें,अपने अन्दर ही मिल जायेगा |
पहले हम उनसे मिलने के ,काबिल तो बन जाएँ
तन-मन पर लगे मैल को हटालें,यक़ीनन वो ज़रूर मिल जायेगा |
तेरे कांधे पर सर रख के,रोने को जी चाहता है
तू होसला देदे,कहीं ना कंहीं तो ढूंढे मिल जायेगा |
"पवन पागल" को इतनी तसल्ली देदे राधे-राधे
की तू मेरी हर सांसों में,सदा के लिए मिल जायेगा |

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