उनके लबों पर हंसी है,
आँखों में विलक्षण तेज है ,
मुख-मंडल पर दिव्य कांति है,
भाल पर अदभुत चमक है|
मोह-माया,अधिकार,यश,अदि,
सभी को बगल में रखतें हैं,
अपने ज्ञान व विद्वता से,
समस्त जग को सरोबर करते हैं|
हैं तो वो भी बड़े व्यापारी"पवन पागल",
पर व्यापार ओर अलबेली सरकार में,
फर्क रखते हैं,इसीलिए वे ,
'जगत-गुरुतम' की उपाधि से सुशोभित हैं|
* जगत-गुरुतम की सेवा में
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