Mere Dil Se.....

शनिवार, 27 नवंबर 2010

(७६)बेहतर

अनकही दिल में ना रहे,तो बेहतर है
वरना सीनें में गुबार,बनती रहती है
सारी भड़ास एक बार में निकल जाये तो बेहतर है
वरना एक छोटी सी बात,एक लम्बी सी कहानी बन जाती है |
क्यों लोग खोखली ज़िदगी,रह-रह कर जीतें हैं ?
किताबें खुलीं क्यों नहीं रहतीं हैं ?
एक छोटी सी गल्ती भी,इतिहास बन जाती है
इतिहास दोहराया न जाये,तो बेहतर है |
सभी को सभी सवालों का,जवाब देना ज़रूरी नहीं है
चेहरे की ख़ामोशी से समझ जायें,तो बेहतर है
वरना तेवर दिखाने में,क्या देर लगती है ?
कुछ फैसलों में किसी से पूछा ना जाये,तो बेहतर है |
ज़िंदगियाँ सँवारने के लिए,उनका उजाड़ ना क्या बेहतर है
जो आज संवरी ,कल उजड़ सकतीं हैं
आम-राय से फैसले ,होजायें तो बेहतर है
वरना जिंदगी नासूर ,बन जाती है |
झूंट की परतें जल्दी ही खुल जायें ,तो बेहतर है
वरना झूंट पे झूंट,बोलने की आदत बन जाती है
सो झूंट बोलने की बजाय, एक सच बोला जाये तो बेहतर है
वरना "पवन पागल" दिवाली , होली -- बन जाती है |

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