Mere Dil Se.....

मंगलवार, 23 नवंबर 2010

(५८) नेता

नेता,कभी किसी को कुछ भी नहीं देता
खुद के स्वार्थ के लिए,जनता से सब कुछ ले लेता |
चुनाव जीतने के लिए
जनता को लम्बे-लम्बे हाथ जोड़ता|
चुनाव जीतने के बाद
इस भोली-भाली गरीब जनता को भूल जाता|
अपने उदर की पूर्ति के लिए
जी भर के लूट-पाट करता|
बुरे से बुरे कर्म वो करता,पर कभी भी
हवालात की हवा नहीं खता|
अछे-खासे इंसान को,हवालात जरुर पंहुँचाता
सारे घोटालों की जड़ वो होता,फिर भी मज़बूत पकड़ रखता|
सत्ता में रहते उसका 'बाल भी बांका'नही होता
सत्ता से जाने के बाद,करोंडो डकारने का भांडा फूटता|
फिर भी वो आज,'खुले सांड'की तरह आज़ाद घूमता
"पवन पागल"कोई आज भी उसका,कुछ नहीं बिगाड़ सकता|

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