Mere Dil Se.....

मंगलवार, 23 नवंबर 2010

(६२) कुछ शेर

आँखों से आँखें मिलाने की,
तुम्हारी आदत पुरानी होगी
हम अंदाजें बंया,झुकी पलकों से
भांप लेते हैं|
* सामने देख कर चलो,इसी में सब का भला है,
नीची नजरें करके चलने वालों को,यंहा क्या मिला है ?
कभी रुकना,कभी चलना,ये जिंदगी एक झमेला है
इतने इंसानों के होते हुए भी,आज आदमी अकेला है |
* कभी तनहाइयों से मैं परेशान,
कभी तनहाइयाँ मुझ से परेशान
ऊपर वाले का बहुत-बहुत एहसान,
जिसकी बदोलत मेरी बनी हुई है जान|
* चमन में बिच्ढ़ कर, वापस मिलने की उम्मीद,
दिल को सुकून देती है,
किसी बुरे सपने को देख कर,उसके हकीकत में न होने की उम्मीद,
सब को सुकून देती है|
*मैं बहार से डरता नहीं हूँ,
बहार में मुझ से कोई न मिले,इसलिए डरता हूँ
चमन में फूल खिलें,मुझे एक भी न मिले
बस इस ख़याल से मैं,रात-दिन डरता हूँ|
*मैं रात-रात भर छुप-छुप के क्यों मिलूं उनसे,
वो जो दिन के उजाले में,मिलने से डरतें हैं
मैं जो सरेआम मोहब्बत करूँ उनसे,
फिर वो उसे क्यों, जग से छुपाते रहते हैं|
*तुम्हारी आँखें बहुत बोलतीं हैं,
जरा पलकें गिराना,
मेरी नज़र तुम्हारी नज़र से बोलती है,
संभल कर खोलना,एक को नहीं,हजारों को गिराना|

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