Mere Dil Se.....

शनिवार, 11 दिसंबर 2010

१०१.नोक-झोंक

तू हाँ तो कर,मेरे मरने की दुआ के लिए ,
तेरे लिए चौदहवीं का चाँद तोड़ न लाऊं तो कहना
मैंने हाँ करदी,पर मरने से पहले मेरे लिए
सामने के पेड़ से लटकते हुए अमरुद तो तोड़ लाओ |
क्या बेकार की बातें करती हो,जो मरने जारहा हो,
उससे अमरुद तोड़ लाने की बातें करती हो
जाओ नहीं मरना! मैं तुम्हारे मरने की दुआ करता हूँ
'मरें मेरे दुश्मन,मैं तो तुम को मार कर ही मरूंगी ' |
ये क्या चल रहा है,जो हम दोनों उट- पटांग बके जारहे हैं
न तुम कँही जारही हो,न मैं कँही जारहा हूँ
फिर भी न जाने दुनियां के दिल क्यों जले जा रहे हैं
चलो छत्त पर धूप में बाज़ार से लाये अमरुद खाये जांये |
अमरुद तो खालेंगे,पर नीचे से चाकू और नमक तो ले आओ
कभी मेरे लिए भी,हाथ-पाँव तो हिला लिया करो
जाओ नहीं खाने तुम्हारे हाथ से कटे ये अमरुद
नज़दीक ही मुफ्त की रेवड़ियाँ बंट रहीं हैं,वंही हाथ-पाँव हिला आऊँगा |
मन करता है की बिजली के खम्बे से चिपक कर मर जाऊं ,
पर हाय रे मुक्कदर ! बिजली ही चली गई
बस इतनी सी बात ! मुझसे कहते
मैं दहेज में लाइ जनरेटर तुरंत ही चालू कर देती |
वो कहते मैं तुम पर जान छिडकता हूँ,झूंट है ये
जान तो दूर, पास पड़े पावडरको तो छिड़का नहीं जाता,
मेरी घमोड़ियों पर,बदन पर तेल की मालिश क्या खाक करोगे ?
बड़े आये जान छिड़कने वाले,दूर जाकर नाक तो सिनकी ही नहीं जाती |
पिछले जनम में भूत थे क्या,जो बच्चों को डरा रहे हो ?
पिछले जन्मों का तो पता नहीं, तुम तो इस जनम में भी भूतनी लगती हो
रोज नहाया करो,पूजा-पाठ किया करो,फिर अच्छे कपडे पहना करो
भूतों को कभी नहाते,पूजा-पाठ करते,और कपडे पहने देखा है कभी ?
("पवन पागल" ये काम तो भूतनियां हीं करती हैं,भूतों को खुश करने के लिए )

1 टिप्पणी: