Mere Dil Se.....

बुधवार, 22 दिसंबर 2010

३५(११६) क्या खता

मैं तो तुम्हारी हर ख़ुशी में शामिल था
फिर मुझे इतना बेगाना क्यों कर दिया ?
नज़र जो मिली तुमसे,उन नज़रों में, मैं न था
मेरी मोहब्बत को, ख़ाक मोहब्बत क्यों कह दिया ?|
दोरे-सफ़र में हर जगह, मैं मोजूद था
फिर मुझे बीच सफ़र में ही, क्यों छोड़ दिया ?
साथ होते हुए भी,मैं तुम्हारे साथ न था
जुदा रहते भी,मुझे हमसफ़र क्यों कह दिया ? |
तम्हारे हर फैसले में, मैं शामिल था
फिर मुझे इतना पराया क्यों कर दिया ?
जो मांग लेते मेरी मोत,मैं तंग-दिल न था
सरे-राह मिलने पर,सिसक कर मुँह क्यों फेर लिया ? |
मैंने तुम्हे चाहा ,ये मेरा नसीब था
चाह कर मुझे,बदनसीब क्यों कर दिया ?
तुम सुकून से रहो,मैं तनहा कब था ?
बता "पवन पागल"को गम-गीन क्यों कर दिया ? |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें