Mere Dil Se.....

बुधवार, 22 दिसंबर 2010

३२(११३) हाले-दिल

जो खिलते बेशुमार फूल हसरतों के
जी भर के मुस्करा तो लेते|
कोई हमारा होता,हम भी होते किसी के
ख़ुशी से एक दूसरे को अपना लेते |
जो नशे में न रहते,कमाई दोलत के
होश आने से पहले,उसे बचा तो लेते |
तकलीफ़ उनको हो,आँसू हमारी आँख में छलकें
तकलीफ़ ज्यादा बढे,उससे पहले बचा तो लेते |
वो तरस भी न खायें, मुझे छलके
कभी आकर अपनी सूरत तो दिखा देते |
हम भी बैठे रहे इत्मिनान से,तसल्ली करके
हमें न सही,किसी और को तो अपना लेते |
जो तकलीफ़ हुई,हाले-दिल हमारा देख के
तो कुछ कुछ कम क्यों नहीं करलेते ?|
पीते जाम पे जाम,जी भर भरके
कभी हमको पिलाते,कभी खुद पी लेते |
जो खुले-आम मोहब्बत न करके
आँखों में मोहब्बतों को तो भर लेते |
जब भी याद आती,देखते आँखें बंद करके
"पवन पागल" को करीब से बिखरा हुआ देख तो लेते |

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