Mere Dil Se.....

बुधवार, 1 दिसंबर 2010

८६.सुधार

लिखने सुनने से कोई बात नहीं बनेगी
जो इरादे मज़बूत हों,समंदर रास्ता दे देगा,
तैर-तैर कर डूबने से,अच्छीतैराकी नहीं कहलाएगी
बिना अक्कल के,क्या समंदर में ईमारत बन पायेगी ?
अच्छा बुरा बनने में,पहले आपकी मर्जी शामिल होती है
दूसरे आपको जब बहलाएँगे ,क्या आप बहल जाओगे ?
गलतियाँ आप को पकड़ें ,या आप गलतियों को पकड़ें '
बैगर गलतियों के, क्या अपने आप को सुधार पाओगे ?|
कहतें हैं इन्सान,गलतियों का पुलन्दा है
सीधे-सीधे क्यों नही कहते की,हम उसके हाथ से बंधी कटपुतलियाँ हैं,
हर किसी का अंत है,हम मेंसे कोई अंनंत नहीं,
जो गलतियाँ जवानी में नहीं ,तो क्या खाक बुढ़ापें में सुधार पाओगे ?|
तुम्हे जीना है,ओर लोगों कोजीने देना है
फिर क्यों नहीं अपनी हरकतों से ,बाज़ आते हो
"पवन पागल" मंजिल डूबने से नहीं,तैरने से मिलती है,
जो अपने आप को बचा पाये,तभी तो दूसरों को बचाओगे |

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