तुझ से मोहब्बत तो करें,पर तेरी आँख का इशारा तो दे
जिंदगी में कुछ रंग भरे,तू भी तो कुछ रंग भरदे
जो कब कहाँ मिलना है,अपना कोई पता तो दे ?
मुश्किल से तेरे तक पहुँच पाऊँ,मेरे क़दमों को रफ़्तार तो दे |
तुझसे दोस्ती ही अच्छी,दुश्मनी की हिम्मत कोंन करे ?
जिसे तू अपनी दोस्ती की ललक दे,उससे बेझिझक मिले
हमारी इस अधूरी सी जिंदगी में,कुछ खुशबु तो भरदे
हरदम तेरी ही याद में खोये रहें,कुछ ऐसी ही चाबी भरदे |
जो हो कोई और हसीन सूरत,हमें भी उससे मिला दे
हम तेरे तक तो नहीं पहुँच पाये, उस तक क्या पहुंचेगे ?
ऊपर जो हसीन नज़ारे हैं,उन्हें हमें भी देखने दे
हमारे लोगों की धरती को ,कभी तो सूरज से मिलने दे |
जो सांसें थोड़ी बहुत बचीं हैं,उनमें तेरी महक भरदे
हर आने-जाने वाली सांसों पर तेरा ही नाम लिख दे
"पवन पागल" तेरे सफ़र में डगमगा न जाये,इतना होसला दे
हरदम तेरी ही खुदाई में खोया रहूँ,ऐसा कुछ करदे |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें