Mere Dil Se.....

गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

९६.तेरे संग

तुझ से मोहब्बत तो करें,पर तेरी आँख का इशारा तो दे
जिंदगी में कुछ रंग भरे,तू भी तो कुछ रंग भरदे
जो कब कहाँ मिलना है,अपना कोई पता तो दे ?
मुश्किल से तेरे तक पहुँच पाऊँ,मेरे क़दमों को रफ़्तार तो दे |
तुझसे दोस्ती ही अच्छी,दुश्मनी की हिम्मत कोंन करे ?
जिसे तू अपनी दोस्ती की ललक दे,उससे बेझिझक मिले
हमारी इस अधूरी सी जिंदगी में,कुछ खुशबु तो भरदे
हरदम तेरी ही याद में खोये रहें,कुछ ऐसी ही चाबी भरदे |
जो हो कोई और हसीन सूरत,हमें भी उससे मिला दे
हम तेरे तक तो नहीं पहुँच पाये, उस तक क्या पहुंचेगे ?
ऊपर जो हसीन नज़ारे हैं,उन्हें हमें भी देखने दे
हमारे लोगों की धरती को ,कभी तो सूरज से मिलने दे |
जो सांसें थोड़ी बहुत बचीं हैं,उनमें तेरी महक भरदे
हर आने-जाने वाली सांसों पर तेरा ही नाम लिख दे
"पवन पागल" तेरे सफ़र में डगमगा न जाये,इतना होसला दे
हरदम तेरी ही खुदाई में खोया रहूँ,ऐसा कुछ करदे |

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