Mere Dil Se.....

गुरुवार, 16 दिसंबर 2010

१०७.हसरतें

हसरतें मेरे दिल की मिटने न दे
तू तो बादशाह है,दिलों की सल्तनतों का
पहले मेरी हसरतों को पूरी तो होने दे
फिर चाहे तो मुझे दोज़ख में ही जगह दे |
मुझे यूँ ही जँग में,लड़ते-लड़ते मरने दे
मैं ही नहीं मेरी पीढ़ियों को भी यूं ही मरने दे
मरने से पहले मेरी एक ख्वाइश पूरी तो कर दे
मुझे एक मुठी खाक वतन की लेने तो दे |
अगले जनम भी फिर वही माँ दे
जो हँसते-हँसते वतन पर कुर्बानी की सीख दे
उसके आँसुओं को पोंछ, मेरे बहने दे
कुर्बानियों की बली को ,जँग की जीत में बदल दे |
हर जनम वीर गति पाऊँ ,ऐसा होसला दे
सदा सब के दुःख पी जाऊं ,ऐसा यकीं दे
अगला जनम भी मुझे,इसी जमीं पर दे
"पवन पागल" को कुछ दिन,तेरे घर में भी रहने दे |

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