Mere Dil Se.....

गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

८७.नसीयत कोंन करे ?

जो खुद तो सदा रहे बेकाबू
वो हमें काबू में रहने की नसीयत देतें हैं
जिन्हें जिंदगी में तैरना न आया कभी,
वो हमें समंदर में ग़ोता-खोरी की सलाह देतें हैं |
थोड़ी अपने आस-पास, बिखेर लो खुशबुएँ
अपनी बगियाँ में सुगन्धित फूल क्यों नहीं उगालेते
खुद ने तो गंगा स्नान न किया कभी,
हमें गंगा-सागर में नहाने की सलाह देते हैं |
जिन्होंने कभी किसी का भला नहीं किया
वो हमें भी बुरा ही करने की सलाह देतें हैं
जिन्हें जिंदगी ठीक से जीने का तरीका न आया कभी,
वो हमें जिंदगी जीने का फलसफ़ा बार- बार दोहरातें हैं |
जो आज तक उन्होंने किसी से निभाई हो तो पूंछें सवाल
तमाम जिंदगी लोगों के सवालों में घिरे रहतें हैं
"पवन पागल" जिन्हें आग भुजाना न आया कभी,
वो सुलगती आग को जान-भूज कर,बार-बार हवा देतें हैं

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