Mere Dil Se.....

बुधवार, 22 दिसंबर 2010

३०(१११) तडफ

उनको रुलाने के सिवा कुछ भी नहीं आता
हमको उनको मनाने के सिवा कुछ भी नहीं आता
वो रुलातें रहें,हम मनातें रहें जिंदगी भर
हमें नचाते रहें! उनको तो नाचने के सिवा कुछ भी नहीं आता |
वो कहाँ तडफते हैं! उनको तो तडफाने के सिवा कुछ भी नहीं आता ?
वो छ्लीयाँ हैं!उनको तो छलने के सिवा कुछ भी नहीं आता
वो छलते रहें,और हम छलाते रहें जिंदगी भर
उनको तो छलने पर,तरस खाना भी नहीं आता |
रहतें हैं दिल में!पर परोक्ष रूप में दर्शन देना भी नहीं आता
कड़े इम्तिहान लें! पर इम्तिहानों में कामयाबी भी देना नहीं आता
वो आग लगाते रहें! हम सुलगते रहें जिंदगी भर
उनको तो आग लगाने के सिवा कुछ भी नहीं आता |
आग लगाकर,उसे बुझाना भी नहीं आता
जले फफोंलों पर मल्हम लगा देते! उन्हें तो वो भी नहीं आता
हमारे अन्दर सदा जल्ती रखना इस आग को ज़िदगी भर
"पवन पागल"उन्हें तो जल्ती आग को! और हवा देना भी नहीं आता |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें