पाँऊ सदा सामने उसे,पर देख न पाँऊ
आँखों के रहते हुए भी,उसे देख न पाँऊ
ये हमारी कमजोरियां हैं,या उसकी उस्तादियाँ,
इस तड़फ को मैं अब,ज्यादा सह न पाऊँ |
उसे पाने के लिए,लाख कोशिशें कीं
मगर वो ,आगे से आगे भागता रहा
ये हमारा कर्म है,जो उससे हैं इतनी दूरियां,
उससे अब मैं,इतनी लम्बी जुदाई सह न पाँऊ |
सुना है वो इन पथराई आँखों से,नहीं दिखाई देता
मन के दिव्य नेत्रों से,उसे देखना पड़ता है
जानते हुए भी ये कैसे हो गयी ,हम से गुस्ताखियाँ ?
मैं एक पल भी अब इन पथराई आँखों को,सह न पाऊँ |
मैं उसे अब तस्वीरों में,देखना न चाहूँ
तस्वीरों में वो बहुत,नज़दीक लगता है,
पर दिखाई नहीं देता,दिखतीं हैं सिर्फ उसकी परछाइयां,
प्रेम की धारा तो निरंतर बहती रहे,फिर भी मैं उस तक पहुँच न पाँऊ |
कागज़ों पर लिखना ओर कुछ चाहूँ,पर तेरा ही नाम छपा पाँऊ
लगातार लिखने के बावजूद भी,तुझे अब तक पहचान न पाँऊ
"पवन पागल" को इतना काबिल बना दिया,बहुत-बहुत मेहरबानियाँ ,
लिकना ओरों के लिए भी चाहूँ,पर न जाने क्यों न लिख पाँऊ |
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