जिंदगी गुजरती-गुजारती,संवरती-संवारती
हंसती-हंसाती,रोती-रुलाती,सजती-सजाती
जिंदगी-ये सभी मायने,सब को शान से बताती
जिसने समझा-उससे दोस्ती,बाकी से दुश्मनी निभाती |
मैं तो हूँ जलते हुए दीपक की भांति
तेज हवा में,रह-रह कर भुझी जाती
ये मांगे मजबूत गुंथी घी में तर बाती
कभी ना भुजूँ ,जो भरपूर घी मैं पाती |
मैं अपनी गणित को,अगणित ही रखती
बड़े से खिलाडी को भी भ्रमित ही रखती
इठलाकर चलती,न चलने वाले को गिराती
जो मुझे बांध के रखता,उसको मैं बांध के रखती |
पैदा होने पर सजती,मर जाने पर भी सजती
जन्म लेते ही रोती,मरने पर दूसरों को रुलाती
"पवन पागल"ये कैसे विरोधाभासों पर जिंदगी चलती
कभी जमकर दोस्ती,कभी जमकर दुश्मनी करती |
bahut accha..wah wah
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