कबूतर की गुटरगूं और कोयल की कुहक भी,
आज-तक भ्रष्टाचार को रोक नहीं पाई
राजनेताओं की छोड़ें,अब तो पत्रकारों की भी,
आँख इस अनोखी जादुई कमाई पर पाई |
बड़े से बड़ा अफसर और छोटे से छोटे बाबू ने भी,
खूब डट के दिखाई अपने हाथों की सफाई
दिल खोल के की ,बहती गंगा में हाथों की धुलाई,
ये अपने मकसद की खातिर,खुद के बाप को भी न छोड़ें कभी |
एक कमजोर कबूतर की गुटरगूं ने और भी,
किया कमाल' हजारों करोड़ों रूपये के घोटाले भी मेरे भाई,
अर्थव्यवस्था पर भारी न पड़ें कभी',
ऐसी उन्होंने अदभुत प्लानिंग सिखाई |
कोई भी राजनैतिक पार्टी बेदाग नहीं है,न ही होगी कभी
दूध से धुला कोई नहीं है मेरे भाई
ये हमेशा खायेंगे और खिलायेंगे भी
शानदार किस्मत के धनि हैं,जो ऐसी शानदार किस्मत पाई |
चुनावी खर्च के लिए एक साफ़ छवी नेता से सुझाव आया अभी,
की' सरकार इस खर्च की स्वयं करे भरपाई'
उम्मीदवारों की चुनाव से पहले ही लोटरी निकल आई अभी,
फंड तो जुटायें जायेंगे,इस पर ये सरकारी खर्च होगी ( + ) कमाई |
क्या कबूतर और कोयल की कुहुक से राज चलें हैं कभी ?
भ्रष्टाचारियों की तो सरे-आम गीले चमड़े के कोड़े से की जाये पिटाई
ये क्या इनकी पीढियां भी फिर न करें दुबारा ऐसी हिम्मत कभी
"पवन पागल"जिंदगी भर ये रो-रो कर देतें रहें अपने खानदान की दुहाई |
good comments on corruption...
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