होश उड़ गये,पंछी उड़ गये
जो जकड़े हुए थे बँधनों से
बँधनों से मुक्त होगये
पर पीछे उदास चेहरे छोड़ गये |
जाने वाले फिर लोट के न आयें
जो जाना सब का समय से तय है
वो तो समय के बंधन से भी मुक्त होगये
और समय के साथ 'पंछी' को लोग भूल गये |
होश में नहीं,बेहोश उड़ गये
जो उलझे थे,रिश्तों से
रिश्तों से आज़ाद होगये
सच्चाई की दुनियाँ में कँही खोगये |
ऐसा नहीं सुबह गये,शाम को आये
मजबूर थे उसकी व्यवस्था से
संसार की सभी मजबूरीयों से मुक्त होगये
"पवन पागल" जिसके थे,उसी के होगये |
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