Mere Dil Se.....

शनिवार, 18 दिसंबर 2010

१०८.और इंतजार

खुशियाँ यहाँ से गुजर गईं,रह-रह के तेरे इंतज़ार में
चमन के फूल मुरझा गए,तेरे आने के इंतज़ार में
ओरों की क्या बात करूँ,तेरे इस सूनें जहाँन में
मेरे अपने हीं बैठे हैं,मेरी म़ोत के इंतज़ार में|
मैंने किसी को चाहा,इसमें मेरी क्या ख़ता ?
जिंदगी गुजर गई,तेरे आने के इंतज़ार में
चाहतों का सिलसिला,कभी तो खतम हो
अब मैं और जिंदा न रहूँ,चाहतों के इंतज़ार में |
अबके बहार में ,मुझे चैन से रहने दे
अपने ही पास रख अपनी,तंग दिल मोहब्बतों को
मैं खुश हूँ,अपने इस छोटे से आशियाँ में
परेशां न कर,क्या रखा है इन गुस्ताखियों में ?|
जो बराबर की आग है,तो खुल कर बरस
क्या कभी किसीका भला हुआ है,बूंदा-बांदियों में ?
जो सूखे गुलिस्तां में फूल खिल जाएँ,इस बरसांत में
मैं भीगता रहूँ तेरे आने तक,तेरे इंतज़ार में |
मोहब्बत कमजोर नहीं है,ये दो दिलों का जोर है
जो यकीन के साथ चलतें हैं,इस लम्बे सफ़र में
वो मोहब्बत की बाज़ी जीत लेते हैं,इस ज़िदगी में
"पवन पागल"वो ही कामयाब रहतें हैं,मोहब्बत में |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें