तेरी दुनियाँ देखकर,किसी ओर दुनियाँ को क्यों देखूं ?
जो हुई तुझसे मोहब्बत,किसी ओर मोहब्बत को क्यों देखूं ?
तुझे देखकर सुकून मिलता है,तो रोती-बिलखती जिंदगियां क्यों देखूं ?
तूने तेरी हस्ती से बढ़ कर पाला,तो मैं गिरती-पड़ती जिंदगियां क्यों देखूं ?
जो तू मुझे निरंतर दिखता रहे,तो मैं अपनों को क्यों देखूं ?
मुझे अनवरत दिखाई देता रहे,तो मैं दुखी संसार को क्यों देखूं ?
मुझे तेरा चश्मा मिल गया है,तो मैं अपने चश्में से क्यों देखूं ?
मुझे जो तेरा चस्का लग गया है,तो मैं ओर नये स्वादों को क्यों देखूं ?
जो मिले तेरा नज़रिया,तो मैं अपने नजरिये से क्यों देखूं ?
जो तेरी नजदीकियां मिल जांयें ,तो मैं इतनी दूर से क्यों देखूं ?
"पवन पागल" तेरे सीधा संबंध मुझ से हो,तो मैं दूसरों की मदद से क्यों देखूं ?
जो गोलोक में ही तू मिल जाये,तो मैं बैकुंठ में क्यों देखूं ?
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