जो हवाएं यहाँ चलतीं हैं,वो ही शरहद पार भी चलती हैं
जो खुशबुएँ यहाँ महकती हैं,वो ही शरहद पार भी महकती हैं
जब दोनों हवाओं में खुशबु एक है,तो दिलों में इतना फर्क क्यों ?
दिल तो एक ही हैं,दरअसल दिलों पार दादा-गिरी चलती है |
जो दिलों पर दादा-गिरी चले,तो आवाम कब तक बर्दाश्त करेगा ?
आवाम तो बर्दाश्त कर चुका,पर वहां पर मर्दों की ज्यादा चलती है
धार्मिक नेताओं की ज्यादा ,ओर राजनीतीगों की कम चलती है
खुशबु भरी हवाएं तो चलतीं हैं,पर धर्म की हवा जोरों से चलती है |
धर्म की हवाएं जोरों से चलें,इससे ज्यादा ख़ुशी की बात क्या होसकती है?
पर इतनी जोरों से भी न चलें,की दुआ-सलाम ही बंद हो जायें
ऐ हवाओं जब भी उधर जाओ,उन तक हमारा पैगाम लेते जाना
दुनियाँ चाहे कुछ भी कहे,हमारी तो यूँ ही छोटी-मोटी चलती रहती है |
रिश्ते जो बिगड़ जातें हैं,सुधरते-सुधरते ही सुधरेंगे
जो बादल आज ग़रज रहें हैं ,कल फिर ज़रूर बरसेंगे
"पवन पागल" जिंदगी खुशबु भरी हवाओं और पानी पर चलती है
सच्चाई से लिए फैसलों पर,जन्ता की खुशियों की खातिर,कुछ समझोंतों पर चलती है |
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