गोविन्द म्हारा श्याम्धनी चितचोर --२
मेंह तो थांकी बाट देखां नितभोर
गोविन्द म्हारा------------------
थे म्हांने चाहो, मेंह थानें चावां ------२
फिर कांइ की देर
गोविन्द म्हारा ------------------
इसी गांठ लगाओ जी,कदे न टूटे गठजोड़ ---२
लम्बी ही बढती जाये,म्हारी पतंगा की डोर
गोविन्द म्हारा---------------------
वृन्दावन भी जा आया देर सबेर -----२
पण थान्को कोणी लादयो ठोर
गोविन्द म्हारा----------------------
अब म्हाने मत तरसावो सांवरिया रुणछोड़ ---२
बेगा-बेगा आवो,झटपट भोग लगाओ नंदकिशोर
गोविन्द म्हारा -----------------------
थान्से मिलबा की खातिर--------------------२
"पवन पागल" होतो रहयो भाव-विभोर --------२
गोविन्द म्हारा ----------------------
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