Mere Dil Se.....

बुधवार, 1 दिसंबर 2010

८४.खोया-पाया

गैरों ने कम,अपनों ने ज्यादा रुलाया
जो उजालों ने दी दस्तक,अपने को अँधेरे में ही पाया,
ख़ुशी कम,गम बेहिसाब पाया
हर तीर को अपनी ही,ओर आता पाया |
जो जीना ही रास न आया ,तो मरने की तम्मना कोन करे ?
जिसे डूबने का डर न हो,वो तूफ़ान की फ़िक्र क्यों करे ?
एक तेरा जो साथ मिला,जिंदगी में सब कुछ मिल गया
सुकून मिला इतना की ,सिर्फ तेरे आगे रोने को दिल करे |
तेरे रहते सब कुछ पाया,क्या काया- क्या माया ?
वो मर कर फिर जी गया,जिसने मन से तुझे पाया,
जो सुख में खोगया ओर गम से डर गया,वो जीते-जी मर गया
"पवन पागल" पहले ज्ञान न पाया ,जो तुझे इतनी देर से अपनाया |

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