Mere Dil Se.....

मंगलवार, 16 नवंबर 2010

(४५) फ़िक्र

जिंदगी बहुत छोटी सी होती है
बिना काम के बहुत लम्बी होती है
जो कट जाये तो ठीक
वरना रो-रो कर कटती है|
कुछ तो हमारी भी गल्तीयाँ रहीं होंगी
थोड़ी उसकी की भी मेहरबानीयां रहीं होंगी
दोनों ने मिल कर क्या किया ठीक ?
एक अछे-खासे इन्सान को पंगु बना दिया |
हमसफ़र अच्छा हो तो
ऐसी जिंदगी भी सहज कट जाती है
जो ओलाद हो ठीक
तो जीवन सफल हो जाता है |
अपनी चाहे जैसी भी गुज़रे
ओलादों के सुख की फ़िक्र होती है
उनकी बेहतर कट जाये तो ठीक
वरना सीनें में घुटन सी होती है |
किसी को बेटों का गम सताता है
किसी पर बेटियां भारी पड़ जातीं हैं
जो बहुएं मिलें ठीक
तो सब की राज़ी-ख़ुशी कट जाती है|
क्यों फ़िक्र करते हो "पवन पागल"
हर गम को धुंए में उड़ा कर जीओ
ऊपर वाले को कस कर पकडे रहो
ऐसी एक क्या हज़ार जिंदगियां कट जाएँगी |

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