Mere Dil Se.....

मंगलवार, 23 नवंबर 2010

(५९) 'मन'

हे 'मन' तू एक यान है
जिसकी गति की तुलना करना
असंभव है |
इस तन के चिड़िया घर में
'तू'
एक विचरता हुआ पक्षी है|
हे 'मन' पहले तू लड़ता है
फिर हथियार लड़तें हैं
तेरे हारे 'हार' है
तेरे जीते 'जीत है|
हे 'मन'पहले तू चलता है
फिर हम चलतें हैं
जब तू गलता है
तो "पवन पागल"मरता है|
हे मन 'जु'शब्द के तुझ में
मिलने पर
तू
एक सुगंधित पुष्प है|
तेरा न कोई 'आदि' है
न कोई अन्त है
'तू' इस सृष्टि में "पवन पागल"
अन्नंत है|

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