Mere Dil Se.....

मंगलवार, 23 नवंबर 2010

(६१) चाटुकार

हर ऊँची शकसियत के आस-पास,
चाटुकारों का मेला सा लगा होता है
जैसे शहद के छते आस -पास,
मधु-मक्खियों का मेला सा लगा होता है|
हर कोई एक दूसरेपर, पैर रख कर,
आगे बढ़ना चाहता है
फिर लोगों की जिंदगी थम सी जाती है
उस शक्श के आस-पास |
क्या गलत है,क्या सही इसका,
उस शक्श को कभी पता नहीं चलता
वो तो चाहता है की,"पवन पागल"
खुजाने वाले रहें,उसके आस-पास |

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