Mere Dil Se.....

शनिवार, 27 नवंबर 2010

(७७)खून के रिश्ते

खून चाहे हमारे बाप-दादा का हो,या हमारे बेटे-बेटियों का हो
चाहे खून हमारे पोते-पोतियों का हो,या फिर हमारे भाई-बहनों का हो
खून तो खून ही रहेगा,ओर रिश्ता भी खून का ही रहेगा
पर कई बार इन खून के रिश्तों की खातिर
हमें कुछ कुर्बानियां भी देनी पड़ती हैं |
वैसे तो दोनों हाथों से ही ताली बजतीं हैं
पर अकेला चना भी भाड़ नहीं फोड़ सकता है
पर न जानें ऐसा क्या होजाता है ?
की खून के रिश्ते भी बेमानी लगतें हैं
जिन्हें हम अपना समझते हैं,वो पराये लगतें हैं |
कुछ उसूलों की खातिर,या फिर अपने मतलब के लिये
खून के रिश्ते भी टूट जातें हैं
रह्जातीं हैं कुछ यादें,जो ये एहसास दिलातीं रहतीं हैं
की वो पहले वाली सुबह कब आयेगी ?
जिस सुबह में,खून के रिश्तों पर फिर से यकीन होगा
"पवन पागल"जब एक बाप अपने बच्चों से,
पति-पत्नी एक दूसरे से खुश रहें
या फिर समझदारी से समझोता करलें
ओर खून के रिश्तों को,खून के आँसू न बननें दें |

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