Mere Dil Se.....

शनिवार, 13 नवंबर 2010

(३७) अंजान सफ़र

कंहा जारहा है ?
तू ऐ जाने वाले,
जाने से पहले तुझे सोचना होगा,
कहाँ जायेगा तू ऐ जाने वाले ?
मंजिल तक पहुँचने वाले,
काँटों भरी डगर पर चलना होगा,
तेरे साथ कोई नहीं हैं जाने वाले,
मंजिल तक तुझे पहुंचना होगा |
गम को साथ लिए,
तू हँसता हुआ जा,
ऐसी मंजिल पे पहुँच,
जहाँ हों तेरे चाहने वाले?
क्या जायेगा तेरे संग अपने ?
ये ठाट-बाट ? यहीं पड़ा रह जायेगा,
'सिक्कंदर भी खली हाथ गया था,
बस जायेगा तेरे साथ,तेरा कर्म ओ जानेवाले |
पथ के काँटों को तू,
मुस्कराता हुआ चुनता जा,
"पवन पागल" ये कांटे फूल होंगे,
मंजिल को पाने वाले |

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