Mere Dil Se.....

शनिवार, 27 नवंबर 2010

(७५)टूटा-तारा

जो उनका नाम,किताबों से निकल कर
गलीयों में आगया
मैं छप कर तो,उनका हो न सका
संग गलीयों में खेल कर
उन्हें अपने करीब पा गया |
जो आसमान से चाँद निकल कर
जमीं पर आगया
लाख कोशिश की मिलने की,पर मिल न सका
फिर चाँद की चांदनी में नहाकर
उसकी शीतलता को बहुत भा गया |
जो सपनों की दुनियां से निकल कर
हकीकत में आगया
न किताबें रहीं--न चाँद रहा--
उनका साथ तो दूर "पवन पागल"
एक टूटा-तारा बनकर रहगया |

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