मैं उनसे क्या मांगू,जो खुद ही किसी सहारे के है,
मांगूं तो उससे ,जो सब का सहारा है|
मैं सबसे ये मांगूं,जिनके पास वो है
है तो मेरे पास भी वो,पर बहुत दूर है |
मुझे उनसे जो नजदीकियां मिल जायें खुद ही
मैं अपना सब-कुछ हार दूँ उसके लिये खुद ही
हम पत्थर के बुत तो बनते रहते हैं खुद ही
"पवन पागल"क्यों न खुदाई बुत बन जायें खुद ही |
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