Mere Dil Se.....

सोमवार, 29 नवंबर 2010

(७९)पूछेगा कोन

जो गम जिंदगी में न रहे,तो उसे पूछेगा कोन ?
हम उन्हें भूलते जायें,बदलते मोसमों की तरह |
जो हम सदा मयखानों में रहें,तो हमें पूछेगा कोन ?
सरासर इस आग में जल जाओगे,परवानों की तरह |
जो लड़ाई ना लड़ते रहें,तो ज़ख्मों को पूछेगा कोन ?
यूँ ही लड़तें रहें,बहादुर सपूतों की तरह |
जो जिंदगी में बेगानें रहें,तो दीवानों को पूछेगा कोन ?
सुलगते-भुझते रहें,आग ओर पानी की तरह |
सहाय को सभी पूछते रहें,तो असहाय को पूछेगा कोन ?
उनके गम में शामिल होजायें,सागर में नदी की तरह |
जो आपस में मोहबत ही ना रहे,तो उसे पूछेगा कोन ?
"पवन पागल" साथ-साथ रहें,लैला-मजनूं की तरह |

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