नयनों की प्यास को, इतना कम न समझो
जो भुझ जाएगी जाम से,
आ के तू गले लगजा
जैसे सुबह शाम से|
नयनों ----------------------------
दिन तो गुजर जाता है
दर्द की करराहट में
पर ये रात क्यूँ आती है,
चाँद के साथ में|
नयनों---------------------------
तू आती तो है,पर तू वो नहीं,
जो थी कभी मेरे नयनों की रोशनी-वो अब नहीं।
माना की - रोशनी तो होती है तुझ से ,
पर मेरा घर रोशन नहीं|
नयनों----------------------------
में इतना कमजोर भी नहीं
जो लबों को तर करलूं ,तेरे शबाब से
नयनों की प्यास, नयनों से ही भुजे तो अच्छा,
'पवन पागल' बाकी प्यास भुझा लेगा सुराही से|
नयनों------------------------------
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