में इस बार तुम्हारे सफ़र में,
साथ न दे पाऊंगा,कुछ मज़बूरी है,
मेरे घर पर,कुछ पेड़ सूख गये हैं,
उन्हें पानी देना ज़रूरी है|
में जीउँ तो हरियाली में,
ओर मरुँ तो यार की गली में,
मेंरे कुछ नज़दीकी रूठ गये हैं,
उन्हें मनाना ज़रूरी है|
में अकेला उसूलों के बियाबान में,
चल ना पाउँगा,लोगों से कुछ दूरी है,
मेंरे घर पर,कुछ ज़रूरी ख़त आगये हैं,
उन्हें पढ़ना ज़रूरी है|
मुझे शाख से तोड़ने में,
क्या मज़बूरी है?
मेंरे कुछ पाशे उलटे पड़ गएँ हैं,
उन्हें तरतीब देना ज़रूरी है|
उम्र के इस पड़ाव में,
नई बीशात बिघाना समझदारी है,
राजा को पैदल की शैह लग गई है,
"पवन पागल"उसे मात से बचाना ज़रूरी है|
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