Mere Dil Se.....

शनिवार, 23 अक्टूबर 2010

(२२) उनसे चाहत

जब भी फुर्सत मिले तुझे,
थोड़ी देर नज़र मुझ पर टिका लेना,
में चला आऊँगा|
मुझे मालूम है ,वक़्त की कमी है तेरे पास,
मुझे आँख का इशारा कर देना,
में चला आऊँगा|
किसी को फुर्सत नहीं मिलती,
किसी को इशारा नहीं मिलता,तू सिर्फ ख्याल कर,
में चला आऊँगा|
मुझे उनसे कुछ मोहबत सी हो गई है,इसलिए,
दिल बेचैन है,नब्ज़ मेरी देखनी हो तो बता देना,
में चला आऊँगा|
मेरे मर्ज़ का सिर्फ एक ही इलाज है,
तेरे साथ रहना, तेरे साथ जीना,तू याद तो कर,
में चला आऊँगा|
में रास्ते में पड़ा एक पत्थर हूँ, उसे तू वंहा लगा देना,
जंहा से तेरे कदम रोज़ गुजरते हों,मुझे बता देना,
में चला आऊँगा|
मेरी सभी ख़ताओं को माफ़ कर देना,
मेरे अन्दर जो तेरे लिए चिंगारी सुलगी है, उसे ओर हवा देना,
में चला आऊँगा|
मुझे अब जीने में ओर भी मज़ा आने लगा है,
साथ जो तेरा मिल गया,बता देना कँहा चलना है,
में चला आऊँगा|
यंहा रह कर भी में क्या करूँगा?
मुझे अंनंत तक पहुंचा दे,
में चला आऊँगा|
'पवन पागल' को अब तेरे सीवा कोई जचता नहीं है,
मुझे रास्ता बता देना,ओर तेरा पता देना,
में चला आऊँगा|
("श्री जगत गुरुतम कृपालु जी महाराज की सेवा में" )

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