Mere Dil Se.....

शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010

(२०) संतोष- धन

क्या तेरा है-क्या मेरा है,ये समझ लिया तो,
सवेरा है,वरना ज़िन्दगी घोर अँधेरा है|
आने-जाने वाली सांसों पर नज़र रखो,
जो आगई तो ठीक,
जान में जान है,वरना,
नज़दीक ही शमशान है|
जो ख़ुशी से मिल रहा है,
उसे खर्च तो करलो,
जी भर कर जी तो लो,वरना
'चिड़िया चुग गई खेत'-यही कहना है|
कुछ मिल गया तो अच्छा है,
कुछ नहीं मिला तो ओर भी अच्छा है,
जीवन 'संतोष-धन,वरना,
गल-सड कर मरना है|
अगला-पिछला सब देख लिया है,
कुछ बाकी है तो
अभी पर,इस वक़्त पर जी लो,
ओरों से अच्छी कट जाएगी|
कड़क उसूलों से ज़िन्दगी सहज कटती नहीं है,
"पवन पागल"इसे थोडा लचर बना लिया जाये तो,
सभी की सरलता से कट जाएगी,
वरना हम भी परेशान-तुम भी परेशान!

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