हर कोई ख़ुशी चाहता है,
दुःख से अपने को दूर चाहता है|
पर ये नामुमकिन है-
हर कोई इन्द्रधनुष देखना चाहता है,
बैगेर बरसांत के,सात रंग देखना चाहता है,
हर कोई आपको चोट पहुँचाना चाहता है,
आपको आहत कर,खुद को सुखी देखना चाहता है|
पर ये नामुमकिन है की
आपको चोट नहीं पहुंचे,ओर वो देखता रहे,
ज़रूरी यह है की
ये चोट आपके लिए,कितना मायना रखती है|
हर राजा पहेले ,असहाय बालक था,
ऐसा नहीं की उठाये कदम,ओर राजशाही मिल गई|
क्या यह संभव है की?
बैगेर नकशे के,शानदार ईमारत बन जाये,
आप दूर सफ़र में चलो,ओर पैरों में छाले भी न पड़ जायें|
हर कोई अपनी सोच,नहीं बदलना चाहता है|
बैगेर सोच बदले,चाँद-सितारों को पाना चाहता है|
पर ये नामुमकिन है की,
"पवन पागल"आपको गहरे सागर में,किनारा मिल जाये,
आप दिशाएँ भी ना बदलें,ओर आपको संसार भी मिल जाये|
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