मुझे आँसू पसंद हैं ,
पर वो ,
जो की सपाट से निकल जांयें ,
एक बार |
मैं नहीं चाहता की,
वो हर पल आँखों मैं समाये रहें ,
ओर लोगों को,
यह कहने का मोका दें की।
"यार कुछ दुखी नज़र आते हो"|
'पवन पागल' को वो आँसू पसंद हैं ,
जो की एक सम्मानित आथिति की तरह ,
आंयें एक बार|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें