जीवन के दो रंग,
जिनमें रंग गए हैं हम,
साथ थोड़ी ख़ुशी,
ओर ज्यादा हैं गम|
जीवन ------------
कभी सुख की छांव में बैठे,
कभी आग के शोलों पर,
पर फिर भी ना मिट पाए,
अभी तक हम|
जीवन-------------
क्या बताएं ,इन ज़ख्मों की कहानी,
तुम्हे रात-दिन,
न इनमें सुबह का रंग,
न शाम का गम|
जीवन---------------
रातों की तन्हाई भी नहीं,
भोर की ताजगी भी नहीं,
दोपहर की धूप की कमी भी नहीं,
जिसमें की 'पवन पागल',
झुलस गए हैं हम|
जीवन----------------
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